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कौसानी|Kausani

 

कौसानी|Kausani

यह स्थान कुमाऊँ की पहाड़ियों में सबसे अधिक आकर्षक और रमणीय है. हिन्दी के छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पंत का जन्म इसी कौसानी की मखमली गोद में हुआ था. कौसानी नाम के पीछे एक प्राचीन इतिहास वताया जाता है. कहते हैं यहीं पर कौशिक मुनि ने तप किया था. तभी से इस स्थान का नाम कौसानी पड़ गया, परन्तु इस स्थान की खोज अंग्रेजों ने पहले-पहल की थी, लेकिन विश्व में कौसानी की वास्तविक ख्याति सन् 1928 में महात्मा गांधी द्वारा हुई. जब वे यहाँ 12 दिन तक यहाँ रहे थे. उन्होंने 'यंग इण्डिया' में लेख लिखकर कुमाऊँ की पहाड़ियों और विशेषकर कौसानी के अलीकिक सौन्दर्य के विषय में भारत और भारत के बाहर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया था. तब से कौसानी में देश-विदेश के हजारों लोग यहाँ की प्राकृतिक घटा को देखने आने लगे. कौसानी का मुख्य आकर्षण हिमालय दर्शन है. यहाँ से हेमालय की विशाल मशृंखला, जो 337 किलोमीटर तक फैली है, यहाँ से साफ-साफ दिखाई देती है. इस शृंखला में चौखम्भा त्रिशूल, नंदादेवी, नंदाकोट, पंचवूली और नन्दायूँटी की सभी चोटियों के मनोहारी दर्शन स्पष्ट हो जाते हैं. हिमालय का इतना विस्तार पौड़ी ( गढ़वाल) के अलावा और कहीं से भी नहीं दिखाई देता. कौसानी का सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य प्रकृति प्रेमियों को आत्मविभोर कर देता है. स्टेट बंगले से सूर्योदय के दर्शन इतने स्पष्ट और अनुपम होते हैं कि कौसानी में आए हुए लोग रात्रि के अंतिम पहर से ही इस बंगले के पास एकत्र हो जाते हैं, कौसानी कोरसी और गरुड़ नदियों के बीच की ढलवां पहाड़ी पर समुद्रतल से 1980 मीटर की ऊँचाई पर बसा है. सीढ़ीनुमा खेतों की सुन्दरता यहाँ के वातावरण को और भी आकर्षक बना देती है. कौसानी में 'कुमाऊँ मण्डल विकास निगम' ने सैलानियों  के लिए 104 शैयाओं का आवासगृह वनाया हुआहै.

कौसानी|Kausani


कौसानी का इतिहास

कौसानी का इतिहास 10वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। उस समय, यह क्षेत्र कुमाऊं राज्य का हिस्सा था। 18वीं शताब्दी में, गढ़वाल के राजा ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और इसे 'कौसानी' नाम दिया, जो 'कोसी' और 'आनी' शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'कोसी नदी के किनारे बसा गांव'।

1869 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और इसे एक 'हिल स्टेशन' में विकसित किया। कई ब्रिटिश अधिकारियों ने यहां घर और बंगले बनवाए और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया।

आजादी के बाद, कौसानी भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बना हुआ है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और कई आकर्षणों के लिए जाना जाता है।

कौसानी|Kausani

कौसानी के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम:

  • 10वीं शताब्दी: कौसानी का उल्लेख पहली बार कुमाऊं राज्य के हिस्से के रूप में किया गया।
  • 18वीं शताब्दी: गढ़वाल के राजा ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और इसे 'कौसानी' नाम दिया।
  • 1869: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
  • 1929: महात्मा गांधी ने कौसानी में अनासक्ति आश्रम में 12 दिन बिताए।
  • 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, कौसानी भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बना हुआ है।

कौसानी के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल:

  • अनासक्ति आश्रम: महात्मा गांधी ने 1929 में 12 दिन कौसानी में बिताए और यहां भगवद गीता पर अपनी टिप्पणी लिखी। उनके प्रवास के सम्मान में, इस स्थान को अब अनासक्ति आश्रम के रूप में जाना जाता है।
  • पंत संग्रहालय: हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में हुआ था। उनके पैतृक घर को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जहां उनकी जीवन और कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है।
कौसानी|Kausani

कौसानी के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल:

  • अनासक्ति आश्रम: महात्मा गांधी ने 1929 में 12 दिन कौसानी में बिताए और यहां भगवद गीता पर अपनी टिप्पणी लिखी। उनके प्रवास के सम्मान में, इस स्थान को अब अनासक्ति आश्रम के रूप में जाना जाता है।
  • पंत संग्रहालय: हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में हुआ था। उनके पैतृक घर को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जहां उनकी जीवन और कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है।
  • कौसानी चाय बागान: कौसानी 208 एकड़ में फैले चाय बागानों के लिए भी जाना जाता है। आप इन बागानों की सैर कर सकते हैं और ताज़ी पत्तियों की खुशबू का आनंद ले सकते हैं।
  • गरुड़ गंगा संगम: गरुड़ गंगा संगम वह स्थान है जहाँ गरुड़ गंगा नदी में मिलती है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
  • कोट ब्रह्मरी मंदिर: कोट ब्रह्मरी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित एक मंदिर है। यह मंदिर कौसानी से 21 किमी दूर स्थित है।