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केदारनाथ मंदिर |Kedarnath Mandir |केदारनाथ मंदिर के बारे में जानकारी |Information about Kedarnath Temple |
केदारनाथ (चमोली)
श्री केदारनाथ जी का मन्दिर समुद्र की सतह से
लगभग 11,500 फुट की
ऊँचाई पर केदारनाथ मण्डल के अन्तर्गत स्थित है. केदारनाथ के लिए पहले पैदल मार्ग
हरिद्वार से ऋषिकेश, वशिष्ठ गुफा, व्यास घाट, देवप्रयाग, अगस्त्य मति आदि अनेक तीर्थों
से होकर जाता है. कऋषिकेश से केदारनाथ का सम्पूर्ण मार्ग लगभग 400 किमी है.
केदारनाथ जी का मन्दिर पाण्डवों द्वारा निर्मित बताया जाता है. इसके निर्माण में
विशाल शिलाखण्डों का प्रयोग किया गया है, जिन्हें यान्त्रिकी सहायता के बिना खड़ा करना असम्भव-सा प्रतीत होता है.
इसके चारों ओर हरी-भरी घाटी बड़ी मनोहारी है. केदारनाथ पीठ में अनेक कुण्ड हैं, जिनमें शिवकुण्ड मुख्य है. एक कुण्ड जो रुधिर
कुण्ड कहलाता है, रक्तवर्ण पानी से भरा रहता
है. मन्दिर के बाएँ भाग में पुरन्दर पर्वत है. इस क्षेत्र के मुख्य स्थान नारायण
क्षेत्र, मिलगण क्षेत्र, शाकम्भरी क्षेत्र आदि हैं. 12,072 मीटर की ऊँचाई पर तुंगनाथ का शिव मन्दिर है.
तुंगनाथ से 2 फर्लाग पर रावण शिला है. कहा
जाता है कि रावण ने इसी शिला पर बैठकर शिव आराधना की थी.
केदारनाथ मंदिर का इतिहास:
उद्गम:
केदारनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और रहस्यमय है। मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया, इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है।
मान्यताएं:
- पांडवों द्वारा निर्माण: एक मान्यता के अनुसार, पांडवों ने द्वापर युग में भगवान शिव की आराधना के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
- आदि शंकराचार्य द्वारा जीर्णोद्धार: यह भी कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी में, आदि शंकराचार्य ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
- जगतगुरु आदि शंकराचार्य की समाधि: मंदिर के पृष्ठभाग में जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी की समाधि भी स्थित है।
निर्माण काल:
- राहुल सांकृत्यायन: राहुल सांकृत्यायन के अनुसार, मंदिर का निर्माणकाल 10वीं और 12वीं शताब्दी के बीच का है।
- ग्वालियर स्तुति: ग्वालियर से प्राप्त एक राजा भोज स्तुति के अनुसार, मंदिर का निर्माण राजा भोज (1076-99) ने करवाया था।
मंदिर का स्वरूप:
- कत्यूरी शैली: मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है।
- छह महीने बंद: मंदिर साल में छह महीने (अक्टूबर से अप्रैल) तक बर्फबारी के कारण बंद रहता है।
- महत्वपूर्ण तीर्थ: केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
इतिहास के अन्य पहलू:
- आदिगुरु शंकराचार्य: आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करवाया था।
- महाराजा रणजीत सिंह: महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में मंदिर के गर्भगृह के लिए सोने का मुकुट दान किया था।
- 2013 की आपदा: 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के कारण मंदिर को भारी क्षति पहुंची थी।
केदारनाथ मंदिर के पीछे शिला जिसके कारण आपदा में मंदिर सुरक्षित रहा |
केदारनाथ मंदिर की विशेषताएं:
1. भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग: केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह माना जाता है कि भगवान शिव यहां स्वयंभू (स्वयं प्रकट) रूप में विराजमान हैं।
2. पांडवों द्वारा स्थापित: मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
3. ऊंचाई: 3,584 मीटर (11,760 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, यह दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है।
4. कत्यूरी शैली का वास्तुकला: मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है, जो अपनी विशिष्ट शिखर और पत्थर की नक्काशी के लिए जाना जाता है।
5. छह महीने बंद: मंदिर साल में छह महीने (अक्टूबर से अप्रैल) तक बर्फबारी के कारण बंद रहता है।
6. भक्तों की भारी भीड़: हर साल लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां आते हैं।
7. धार्मिक महत्व: केदारनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह चारधाम यात्रा का भी हिस्सा है।
8. अन्य विशेषताएं:
- मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की मूर्ति है।
- मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें भैरवनाथ, गणेश और पार्वती मंदिर शामिल हैं।
- मंदिर के पास ही केदारनाथ नदी बहती है।
- मंदिर के आसपास कई प्राकृतिक सुंदरताएं हैं, जिनमें हिमालय पर्वत और घाटियां शामिल हैं।
सोन प्रयाग |
केदारनाथ मंदिर के लिए यातायात:
1. हवाई मार्ग:
- निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो 239 किलोमीटर दूर है।
- हवाई अड्डे से, आप गौरीकुंड या सोनप्रयाग के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं, जो केदारनाथ मंदिर के लिए ट्रेकिंग के प्रारंभिक बिंदु हैं।
2. रेल मार्ग:
- निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो 236 किलोमीटर दूर है।
- रेलवे स्टेशन से, आप गौरीकुंड या सोनप्रयाग के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
3. सड़क मार्ग:
- आप सड़क मार्ग से भी केदारनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- गौरीकुंड और सोनप्रयाग के लिए कई बसें दिल्ली, ऋषिकेश, देहरादून और हरिद्वार से चलती हैं।
4. ट्रेकिंग:
- गौरीकुंड और सोनप्रयाग से, आपको 16 किलोमीटर (गौरीकुंड से) या 18 किलोमीटर (सोनप्रयाग से) की दूरी तय करके केदारनाथ मंदिर तक पैदल यात्रा करनी होगी।
- ट्रेकिंग कठिन है, लेकिन यह हिमालय के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।
5. हेलीकॉप्टर:
- आप हेलीकॉप्टर से भी केदारनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- हेलीकॉप्टर सेवाएं गौरीकुंड और सोनप्रयाग से उपलब्ध हैं।
श्रदालु मंदिर जाते हुए |
यात्रा के लिए टिप्स:
- यात्रा शुरू करने से पहले मौसम की जांच करें।
- गर्म कपड़े और आरामदायक जूते पहनें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी और भोजन साथ ले जाएं।
- यदि आप ट्रेकिंग कर रहे हैं, तो पहले से फिटनेस का स्तर तैयार करें।
- आप अपनी यात्रा की योजना बनाने के लिए किसी ट्रैवल एजेंट से संपर्क कर सकते हैं।
यात्रा की लागत:
- यात्रा की लागत आपके द्वारा चुने गए यात्रा के तरीके और आपके द्वारा किए जाने वाले खर्चों पर निर्भर करेगी।
- हवाई मार्ग से यात्रा करना सबसे महंगा विकल्प है, जबकि सड़क मार्ग से यात्रा करना सबसे सस्ता विकल्प है।
साधू संत |
यात्रा का समय:
- यात्रा का समय आपके द्वारा चुने गए यात्रा के तरीके और मौसम पर निर्भर करेगा।
- हवाई मार्ग से यात्रा करना सबसे तेज़ विकल्प है, जबकि सड़क मार्ग से यात्रा करना सबसे धीमा विकल्प है.
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