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खस जनजाति |Khas tribe

 

खस जनजाति |Khas tribe


खस प्रदेश उत्तराखण्ड के उत्तर-पश्चिम में स्थित पहाड़ी प्रदेश का नाम है. इसमें देहरादून, मसूरी के आसपास के पर्वतों का भाग भी शामिल है. यह वहुत ही रमणीय प्रदेश है, इसे प्राकृतिक सौन्दर्य का भण्डार कहा जा सकता है. जलवायु भी बहुत अच्छी है, इस प्रदेश में अधिक जनसंख्या खस जाति तथा पहाड़ी राजपूतों की पाई जाती है, ब्राह्मण तथा कोल्टेड्रम (कोहली वंश के लोगों के अछूत लोग) भी यहाँ पाए जाते हैं. कोल्टेडूम अधिकतर खस लोगों के सेवक होते हैं. आदिकाल से ये लोग खस लोगों की सेवा का व्यवसाय अपनाए हुए हैं, परआजकल सरकार इनको पाठशालाओं में पढ़ाने पर बल दे रही है.

 सम्पूर्ण प्रदेश पहाड़ी है, जहाँ जाड़ों में बर्फ जम जाती है, कालसी इस प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान है. अशोक के काल के अनेक शिलालेख यहाँ मिलते हैं. 'चतरशाला' का अर्थ चित्रशाल 

 

खस जनजाति |Khas tribe


ब्यवसाय 

यहाँ की मुख्य जीविका खेती और पशुपालन है, परन्तु खेती आदिम अवस्या में ही है, क्योंकि पहाड़ों पर खेती करना कठिन है, ये खेत छोटे छोटे और सीड़ीनुमा होते हैं. यहाँ के प्रत्येक व्यक्ति को मांस बहुत पसन्द है चाहे पह खस हो अथया ब्राह्मण, स्त्रियों को तम्बाकू तथा सिंगरेट पीने का बहुत शीक है. समाज में इसे बुरा नहीं माना जाता है.

 

रहन-सहन

इन लोगों का कपड़ा बहुत सादा होता है. गर्मियों में केवल एक लंगोटी पहनकर ही समय विता देते हैं, परन्तु जाड़ों में ऊनी चुस्त पायजामा, लम्बा कपड़ा तथा गोल टोप पहनते हैं. स्त्रियाँ अपने वालों को ढकने के लिए एक काले रंग के रुमाल का प्रयोग करती हैं, जिसे 'टुयांटू' कहते हैं. स्त्रियों को आभूषण का बहुत शौक है. नये-नये आभूषणों के लिए वे लालायित रहती हैं. इनके आभूषण बहुत सुन्दर नहीं होते हैं. नाक में लौंग भी पहनती हैं, कानों में बालियो, हाथों में चूड़ियाँ तथा माला पहनती हैं.

खस जनजाति |Khas tribe

 

रीति-रिवाज

इनके यहाँ विचित्र रीति-रिवाज है, इनमें जाति का कोई भेदभाव नहीं समझा जाता है, व्राह्मण तथा राजपूतों में सरलता से विवाह सम्बन्ध होते हैं. एक समय एक स्त्री अनेक पुरुषों की पत्नी बनकर रह सकती है. एक भाई का विवाह हो जाने पर अन्य भाई विवाह नहीं करते हैं. एक ही स्त्री अन्य भाइयों की भी स्त्री समझी जाती है. इस प्रकार के सम्बन्ध को इन लोगों में बुरा नहीं माना जाता है. इसे ये लोग शुभ समझते हैं. इनका ऐसा विश्वास है कि यदि घर के सभी भाई विवाह कर लें, तो घर का नाश हो जाता है. इसका कारण यह है कि पहाड़ पर कृषि योग्य जमीन की

कमी होती है तथा प्रत्येक परिवार के पास थोड़ी सी ही जमीन होती है, जिस पर सभी गृहस्थी का भार होता है. भाई विवाह करने लगे, तो थोड़ी सी भूमि पर अधिक भार पड़ेगा और आर्थिक व्यवस्था विगड़ जाएगी.

 

खस जनजाति |Khas tribe

सामाजिक जीवन

इस प्रदेश की स्त्रियों शराब भी पीती हैं. शराब पीने में इन्हें किसी प्रकार का संकोच नहीं होता है. ये बहुत परिश्रमी होती हैं. प्रत्येक कार्य में पुरुषों की सहायता करती हैं. वृक्षों पर चढ़ना तथा पहाड़ी नदियों को पार करना इनके लिए बहुत सरल होता है. ये लोग अतिथि सत्कार में बड़े कुश्ल होते हैं. घर पर मेहमान के आने पर धर की लड़की अथवा अन्य स्त्री बड़े आदर से उसके हाथ-पाँव धुलाती है. जब खाने के लिए सब प्रकार की वस्तुएँ परोस दी जाती हैं, तो उनमें से सभी प्रकार का भोजन थोड़ा-योड़ा निकालकर पहले घर की स्त्रियों खाती हैं. इसके बाद अतिथि को खाने के लिए कहा जाता है, यह केवल यह दिखलाने के लिए किया जाता है कि खाने में किसी प्रकार का दोष या विष नहीं है, अगर हो तो पहले वे अपनी जान दे देती हैं.

खस जनजाति |Khas tribe

 

धार्मिक विश्वास

इनके अनेक देवी देवता हैं, लेकिन प्रमुख रूप से शिव की पूजा की जाती है. अन्य देवी देवताओं पर वकरे की बलि चढ़ाई जाती है.

खस जनजाति |Khas tribe

 

त्यौहार

 इनके यहाँ हरियाली का त्यौहार वहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. किसी निश्चित स्थान में मेले में सम्मिलित होने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. देवी देवताओं के मंदिर में वलि चढ़ाई जाती है. स्त्री-पुरुष साथ-साथ नाचते हैं. हरियाली का त्यौहार वर्षा के आगमन के साथ होता है. यही सबसे प्रमुख त्यौहार है.