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लाखामण्डल: इतिहास और रहस्य से जुड़ा उत्तराखंड का गांव|Lakhamandal: Village of Uttarakhand associated with history and mystery |
लाखामण्डल, उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित एक रमणीय गांव है। यह यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है, और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी समेटे हुए है.
स्थिति:
- देहरादून से 128 किलोमीटर दूर
- चकराता से 35 किलोमीटर दूर (मसूरी-यमनोत्री रोड पर)
- केम्पटी फॉल्स के पीछे स्थित
लाखामण्डल का इतिहास और पौराणिक कथाएं:
- माना जाता है कि लाखामण्डल में पाए गए खुदाई के अवशेष 5वीं-8वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं।
- एक शिलालेख (छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व) के अनुसार, सिंहपुरा की राजकुमारी ईश्वरा ने अपने पति चंद्रगुप्त की आत्मा की शांति के लिए यहां शिव मंदिर बनवाया था।
- स्थानीय मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में दुर्योधन ने पांडवों को जिंदा जलाने के लिए लाख के घर (लाक्षागृह) का निर्माण यहीं करवाया था। यहां एक गुफा भी है, जिसके बारे में माना जाता है कि पांडव उस गुफा से भाग निकले थे।
लाखामण्डल मंदिर:
- लाखामण्डल का प्राचीन शिव मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाया गया माना जाता है।
- यह मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली में निर्मित है, जो गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में आम है।
- मुख्य मंदिर के पास खुदाई में विभिन्न आकारों और कालखंडों के शिवलिंग पाए गए हैं।
- मंदिर में स्थित मुख्य शिवलिंग ग्रेफाइट से बना है और माना जाता है कि गीला होने पर यह चमकता है।
- यहां पर प्रार्थना करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।
पर्यटन स्थल के रूप में लाखामण्डल:
- लाखामण्डल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है।
- यमुना नदी के किनारे का शांत वातावरण और आसपास के पहाड़ आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
- इतिहास और पुराण से जुड़े रहस्य इसे और भी रोचक बनाते हैं।
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