लालकुआँ, बरेली अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 156 किलोमीटर एवं हल्द्वानी से 16 किलोमीटर दूर 29° 4' उत्तर अक्षांश एवं 79° 30' पूर्व देशांतर में उत्तरपूर्व रेलवे लाइन के बरेली-काठगोदाम खण्ड का प्रमुख रेलवे जंक्शन है. पूर्व में यह एक साधारण स्थल था, परन्तु 1978 में यह टाउन एरिया बना दिया गया. यहाँ का क्षेत्रफल 4-25 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या 6.524 जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 3,567 है तथा महिलाओं की जनसंख्या 2,957 है तथा साक्षरता का प्रतिशत 84 है. यह रेत-बजरी एवं काष्ठ उद्योग हेतु प्रसिद्ध है यहाँ से बुरादा एवं पत्थर का निर्यात तथा ईंट, सीमेंट, चूना का आयात किया जाता है. यह उद्योग केन्द्र के रूप में भी प्रसिद्ध है. यहाँ पर सेंचूरी पल्प तथा कागज बनाने का कारखाना है. हाँ एक बड़ा डेयरी फार्म भी है.
लालकुआँ का इतिहास
लालकुआँ का इतिहास 19वीं शताब्दी का है। यह शहर पहले 'कठघरिया' के नाम से जाना जाता था। 1864 में, ब्रिटिश सरकार ने यहाँ एक रेलवे स्टेशन का निर्माण किया। इस स्टेशन के आसपास धीरे-धीरे एक बस्ती विकसित हुई, जिसे 'लालकुआँ' नाम दिया गया। यह नाम यहाँ स्थित एक लाल कुएँ के नाम पर रखा गया था।
लालकुआँ के इतिहास की कुछ प्रमुख घटनाएं:
- 1864: लालकुआँ रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ।
- 1890: लालकुआँ में एक चीनी मिल की स्थापना हुई।
- 1900: लालकुआँ में एक पेपर मिल की स्थापना हुई।
- 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, लालकुआँ भारत का हिस्सा बन गया।
- 1960: लालकुआँ नगर पंचायत की स्थापना हुई।
- 1980: लालकुआँ नगर पालिका परिषद की स्थापना हुई।
लालकुआँ के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल:
- लाल कुआँ: यह कुआँ 19वीं शताब्दी का है।
- शिव मंदिर: यह मंदिर 19वीं शताब्दी का है।
- हनुमान मंदिर: यह मंदिर 20वीं शताब्दी का है।
- गुरुद्वारा श्री नानक देव जी: यह गुरुद्वारा 20वीं शताब्दी का है।
लालकुआँ के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- लालकुआँ भारत का सबसे बड़ा पेपर मिल का घर है।
- लालकुआँ नैनीताल का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
- लालकुआँ में कई प्राचीन मंदिर और गुरुद्वारे हैं।
- लालकुआँ में कई शैक्षिक संस्थान और अस्पताल हैं।
लालकुआँ एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण शहर है। यह नैनीताल का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र है।
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