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पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground

 

पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground

पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से 14 किमी दूरी पर स्थित है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से 90 फ़ीट नीचे है, तथा लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं। यह भी वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये थे।
द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया।
गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिस्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें देखकर एेसा लगता है जैसे उन्होंने पृथ्वी को पकड़ रखा है। इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में शिवलिंग की ऊंचाई 1.50 फीट है और शिवलिंग को छूने की लंबाई तीन फीट है यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी।




पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground


यहां विराजित है गणेशजी का कटा मस्तक
हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया।
पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground

भगवान शिव ने की थी यहां 108 पंखुड़ियों वाले कमल की स्थापना
पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।
पत्थर बताता है कब होगा कलयुग का अंत
इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा।
पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground

गुफा में मौजूद हैं केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ भी
यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरूड़ शामिल हैं। तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground
पौराणिक महत्व
स्कन्दपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहाँ आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया

पाताल भुवनेश्वर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्राकृतिक गुफा मंदिर है। यह गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर है। गुफा 160 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और भूतल से 90 फीट नीचे स्थित है।

पाताल भुवनेश्वर:-ज़मीन के नीचे भगवान शिव का रहस्यमयी लोक|Patal Bhubaneswar:-the mysterious world of Lord Shiva under the ground

  • गुफा भगवान शिव को समर्पित है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि गुफा में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। गुफा में कई अन्य मूर्तियां और नक्काशी भी हैं।
  • पाताल भुवनेश्वर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल है। हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक गुफा का दौरा करते हैं।
  • गुफा तक पहुंचने के लिए, गंगोलीहाट से टैक्सी या जीप किराए पर ले सकते हैं। गुफा तक जाने के लिए एक पैदल रास्ता भी है।
  • गुफा में प्रवेश करने के लिए, आपको एक छोटे से द्वार से गुजरना होगा। गुफा के अंदर, यह अंधेरा और ठंडा है। गुफा का पता लगाने के लिए आपको टॉर्च की आवश्यकता होगी।
  • गुफा में मुख्य आकर्षण शिवलिंग है। शिवलिंग एक प्राकृतिक चट्टान से बना है और कहा जाता है कि यह स्वयंभू है। शिवलिंग के चारों ओर कई अन्य मूर्तियां और नक्काशी हैं।
  • गुफा में एक प्राकृतिक जलधारा भी है। ऐसा माना जाता है कि इस जलधारा का जल पवित्र है।
  • पाताल भुवनेश्वर एक अद्भुत स्थान है। यह एक प्राकृतिक आश्चर्य, एक तीर्थस्थल और एक पर्यटन स्थल है। यदि आप उत्तराखंड जा रहे हैं, तो पाताल भुवनेश्वर की यात्रा अवश्य करें।
Source :- social Media and google