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ऋषिकेश |Rishikesh

ऋषिकेश |Rishikesh

ऋषिकेश उत्तराखंड के देहरादून जिले का एक शहर है। यह गंगा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और हिंदुओं के लिए एक तीर्थस्थल है, जहां प्राचीन संत उच्च ज्ञानान्वेषण के लिए यहां ध्यान करते थे। ऋषिकेश को "विश्व योग राजधानी" के रूप में भी जाना जाता है। 

ऋषिकेश कई मंदिरों का घर है, जिनमें त्रिवेणी घाट पर स्थित भगवान विष्णु को समर्पित लक्ष्मण झूला और भरत मंदिर शामिल हैं। ऋषिकेश राफ्टिंग और बंजी जंपिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए भी एक लोकप्रिय गंतव्य है। भगवान शिव को यह सुन्दर स्थान वहुत प्रिय था. ऐसा विश्वास ऋषिकेश के वारे में लोगों में प्रचलित है. कहा जाताहै कि भगवान विष्णु ने मधु कैटभ दैत्य का वध इसी स्थान पर किया था. क्षिकेश गंगा के दाहिने तट की ओर एक ऊँची चट्टान पर स्थित है. कृषिकेश में वीरभद्रनामक स्थान पर I.D.P.L. नाम से जीवन रक्षक औषधि निर्माण संस्थान है. यह संस्थान एशिया मह दीप में सबसे वड़ा औषधि निर्माण संस्थान हैलक्ष्मण झूलाशिवानन्द झूला और गंगा में राफ्टटिंग की व्यवस्था पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है. इस नगर में कई प्रमुख तीर्थ व दर्शनीय स्थल हैंजो एक ओर तीर्थयात्रियों के लिए धार्मिक रूप से उत्तम हैतो दूसरी ओर पर्यटकों का मन सैर के लिए अनायास ही आकृष्ट हो जाता है. इस नगर के अन्य दर्शनीय स्थलों का विवरण निम्न प्रकार है-

 

लक्ष्मण झूला

ऋषिकेश में 4 किमी उत्तर पश्चिम में मोटर मार्ग से एक सड़क गंगा नदी तक जाती है. नदी पर लोहे के रस्सों द्वार निर्मित एक झूला पुल है जिसे लक्ष्मण झूला कहते हैं. गंगा नदी को इसी  पुल द्वारा पार करके लक्ष्मण झूला पहुँचा जाता है. लक्ष्मण झूला में लक्ष्मणजी, गणेशजी, हनुमानजी के बड़े-बड़े सुन्दर मन्दिर है, यह स्थान चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह स्थान उत्तम है. यहाँ से ही पैदल यात्रा मार्ग वढ़ीनाथ को जाता है, जंगल में बंदर, भालू, लंगूर, हिरण, चीता, शेर, मोर आदि दिन में ही देखे जा सकते हैं.

 

स्वर्गाश्रम

यह आश्रम पहले वावा काली कमली क्षेत्र की एक शाखा थी. यहाँ पर भगवान से सम्बन्धित कई मन्दिर है. समय-समय पर जप, कीर्तन, उपदेश होते रहते हैं. पूरे क्षेत्र को अति सुन्दर ढंग से बनाया गया है. पर्यटकों के सैर - सपाटे  के लिए उत्तम स्थान है, यहाँ एक संस्कृत की संस्था है, जोकि निःशुल्क शिक्षा देती है साथ ही रहने खाने पीने व औषधि आदि की मुफ्त व्यवस्था है, यह स्वामी आत्मप्रकाशजी आनीकमली वालों द्वारा स्थापित किया गया था. इस आश्रम में लगभग 100 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है,

परमार्थ निकेतन

 यह स्थान भी लक्ष्मण झूला व स्वा्गाश्म की तरह ही गंगा के पार (पौड़ी गढ़वाल) क्षेत्र में पड़ता है. यहाँ 60 व्यक्तियों के रहने की व्यवस्था है. साथ ही भोजन, शिक्षा आदि मुक्त में उपलब्ध कराए जाते हैं.

 चोरासी कुटी

अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व भावातीत ध्यान के प्रणेता महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित योग व ध्यान का अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्थान है. देश विदेश के हजारों लोग इस केन्द्र से योग व ध्यान और भारतीय दर्शन की शिक्षा पाते है. आश्रम द्वारा छोटी-छोटी 84 कुटिया सीमेंट से निर्मित की गई हैं. जो अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं इसलिए इसे चौरासी कुटी कहते हैं. इनके अतिरिक्त स्वर्गाश्रम में 'चोटीवाला' होटल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है, जो उत्तम प्रकार का भोजनादि तथा आवासीय सुविधा उपलब्ध है. इसके प्रवेश द्वारा बैठा हुआ चोटी खड़े किए एक व्यक्ति मन को आकर्षित करता है. यहाँ कुछ्ठ अन्य योग व ध्यान केन्द्र भी देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण केन्द्र हैं.

 

तपोवन

लक्ष्मण झूला से नदी पार ठीक सामने तपोवन नामक गाँव है. यहाँ सीढ़ीनुमा खेत का प्राकृतिक दृश्य वरवस ही मन को आकृष्ट कर लेते हैं. यहाँ का वासमती चावल वहुत प्रसिद्ध है, तपोवन से पहले स्टील, बल्च फिलामेंट आदि के उद्योग केन्द्र खुल चुके हैं. यहाँ ठहरने के लिए अच्छे होटल भी हैं.

 मुनि की रेती

मुनि की रेती में दिव्य जीवन संघ, कैलाश आश्रम विटट्ल आश्रम, ओंकारानंद संस्थान आदि कई महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं, जोकि योग ध्यान, संस्कृत, धार्मिक व उच्च तकनीकी शिक्षाएँ प्रदान करती हैं, मुनि की रेती से नाव द्वारा गंगा पार कर स्वर्गाश्रम व गीताभवन जाया जाता है. गढ़वाल विकास निगम का यात्रा कार्यालय व टूरिस्ट गेस्ट हाउस इसी छेत्र  में है. इसी क्षेत्र में 'इस्कान' अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वा रा संचालित श्री राधागोविन्द का भव्य मन्दिर है. यहाँ विदेशी पर्वटक बहुत  संख्या में आते हैं.

 भरत मन्दिर

इस स्थान पर भगवान विष्णु ने रैम्य ऋषि को दर्शन दिए थे. भगवान विष्णु ने क्रषि को वताया था कि त्रेतायुग में राजा दशरथ के पुत्र भरत, जो हमारे चतुर्थांश भाग हैं, हमको यहाँ स्थापित करेंगे, यही मूर्ति कलियुग में भरत नाम से विख्यात होगी वताते हैं कि जो भी व्यक्ति भरत नाम से मेरा यहाँ नमन करेगा. उसको निश्चित रूप से मुक्ति मिलेगी. इसके अतिरिक्त लक्ष्मण झूला के ऊपर पहाड़ी पार करने पर 'नीलकण्ठ' महादेव का प्रसिद्ध मन्दिर है. प्रतिवर्ष श्रावण मास में देश के कोने-कोने से लाखों धार्मिक पर्यटक यहाँ आते हैं और पवित्र शिवलिंग पर गंगा जल चढ़़ाते हैं. क्रषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर 'वीरभद्र' नामक स्थान है. यहाँ शिव का प्राचीन मन्दिर है. शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है. कहा जाता है कि यहीं पर दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंश शिव ने किया था.

 तपोवन (टिहरी गढ़वाल)

कहा जाता है कि लक्ष्मणजी ने यहाँ तप किया था. लक्ष्मण झूला यहाँ का मुख्य आकर्षण है. यहाँं का लक्ष्मण मन्दिर भी देखने योग्य है. यहाँ विष्णु का एक प्राचीन मन्दिर भी है. कुछ दूर नदी के बाएँ तट पर स्वर्गाश्रम है. इसी स्थान पर रामेश्वर का मन्दिर भी है.