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उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
किसी भी प्रदेश की प्राकृतिक
धरोहर के अन्तर्गत वहाँ पाई जाने वाली वन्य जीव जातियों (अर्थात् प्राकृतिक रूप से
उगने वाली वनस्पति एवं पशु-पक्षियों,
कीट, पतंगों, सरीसृप जातियों) को सर्वोच्च
स्थान प्राप्त है, क्योंकि
वन्य जीव जातियाँ किसी क्षेत्र की जलवायु एवं भौगोलिक धरातल की विशिष्टता की सजीव
दस्तावेज होती है इसलिए धरती के सभी देश-प्रदेश अपनी-अपनी भौगोलिक सीमाओं में
प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जीव-जातियों को संरक्षित करने के लिए अभयारण्यों एवं वन्य
जीव विहारों की स्थापना करते हैं.
उत्तराखण्ड के गठन के बाद
उत्तराखण्ड का कुल वन्य जीव क्षेत्र 34,151
वर्ग किमी आ गया, जवकि उत्तर प्रदेश में केवल 17.259 वर्ग किमी क्षेत्र से संतोष करना
पड़ा. उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय
कार्बेट उद्यान, प्रसिद्ध
फूलों की घाटी का उद्यान, उत्तराखण्ड
का हिस्सा) वन गया. इस प्रकार 6 राष्ट्रीय उद्यान व 7 वन्य जीव विहार उत्तराखण्ड के अंग बन गए. इसी प्रकार वन्य जीव के मामले में
भी उत्तराखण्ड के लिए लाभकारी रहा. उत्तराखण्ड में वर्ष 2008 में हुई जनगणना में बाघों की संख्या
178, तेंदुए
2335, बारासिंघे
376, हाथी
1346 हैं.
कस्तूरी मृग, हिम
तेंदुआ, मोनाल
पक्षी उत्तराखण्ड के हिस्से हो गए हैं.
राज्य के राष्ट्रीय उद्यान
यह भारत का प्रथम राष्ट्रीय
उद्यान है. वन्य जीवों के सुरक्षित रखने एवं विलुप्तीकरण से बचाने हेतु 1936 में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय पार्क
अधिनियम के अन्तर्गत हेली नेशनल पार्क के नाम से इसे स्थापित किया गया था. कुछ समय
पश्चात् इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क हो गया. एक प्रसिद्ध शिकारी तथा कुमाऊँ के
वन्य जीवों का हिमायती जिम कार्बेट के स्मृति में इस पार्क का नाम कार्बेट नेशनल
पार्क कर दिया गया. 1973 में
टाइगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया. इसका क्षेत्रफल 521 वर्ग किमी है. इस पार्क में हाथी, चीता, बाघ, तेंदुआ, रीछ, भालू, वारहरसिंगा, हिरन, जंगली सूअर, साही, जंगली बिल्ली, लकड़बग्धा आदि वन्य प्राणी हैं.
यह पार्क नैनीताल जनपद के रामनगर क्षेत्र में स्थित है.
2. नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान
नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड राज्य में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1982 में हुई थी और यह 630.3 वर्ग किलोमीटर (243.3 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। पार्क नंदा देवी पर्वत के आसपास स्थित है, जो भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। पार्क पश्चिमी हिमालय की ऊंची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर, और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान |
नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। पार्क कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. राजाजी
राष्ट्रीय उद्यान
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड राज्य में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1983 में हुई थी और यह 820.45 वर्ग किलोमीटर (317.17 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। यह पार्क शिवालिक पर्वत श्रृंखला में स्थित है और इसमें साल के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क बाघ, हाथी, गैंडा और तेंदुआ सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान |
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और सफारी, हाथी की सवारी और नौका विहार के लिए कई अवसर प्रदान करता है। पार्क वर्ष भर खुला रहता है, और आगंतुकों को पार्क में प्रवेश करने के लिए परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। पार्क में कई मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं, जिनमें राजाजी मंदिर भी शामिल है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। पार्क कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहां राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
- पार्क का नाम भारत के पहले गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है।
- पार्क में बाघों की सबसे बड़ी आबादी में से एक है। भारत में।
- पार्क हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग है।
- पार्क कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें गिद्ध, बाज और उल्लू शामिल हैं।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो राजाजी राष्ट्रीय उद्यान निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध पार्क है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
4. फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (वैली ऑफ फ्लॉवर्स नेशनल पार्क) भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1982 में हुई थी और यह 87.50 वर्ग किलोमीटर (33.8 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। यह पार्क पश्चिमी हिमालय की ऊंची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
भालू |
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। पार्क कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहां फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
- पार्क को इसका नाम रंगीन फूलों की बहुतायत से मिला है जो वसंत ऋतु में खिलते हैं।
- पार्क में 500 से अधिक विभिन्न प्रकार के फूल पाए जाते हैं, जिनमें प्राइमरो, ऑर्किड और ब्लू पोपी शामिल हैं।
- पार्क कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें हिमालयन मोनाल और गिद्ध शामिल हैं।
- पार्क हिंदू और बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध पार्क है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
इस उद्यान को पुष्पावटी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है.
उत्तराखण्ड : राष्ट्रीय उद्यान
क्रम |
नाम |
स्थापना वर्ष |
क्षेत्रफल (वर्ग किमी) |
जनपद |
1 |
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान |
1983 |
820 |
देहरादून,हरिद्वार,
गढ़वाल |
2 |
कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान |
1936 |
521 |
नैनीताल,
गढ़वात |
3 |
नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान |
1982 |
630 |
चमोली |
4 |
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान |
1982 |
87 |
चमोली |
5 |
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान |
1992 |
2390 |
उत्तरकाशी |
6 |
गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान |
1992 |
472 |
उत्तरकाशी |
5. गंगोत्री
राष्ट्रीय उद्यान
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी और यह 2,390 वर्ग किलोमीटर (923 वर्ग मील) के क्षेत्रफल में फैला है। यह पार्क पश्चिमी हिमालय की ऊँची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। पार्क कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहां गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
- पार्क का नाम गंगोत्री ग्लेशियर के नाम पर रखा गया है, जो गंगा नदी का स्रोत है।
- पार्क में भारत का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत नंदा देवी स्थित है।
- पार्क कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें हिमालयन मोनाल और गिद्ध शामिल हैं।
- पार्क हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध पार्क है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
6. गोविन्द
राष्ट्रीय उद्यान
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1955 में हुई थी और यह 958 वर्ग किलोमीटर (370 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। पार्क पश्चिमी हिमालय की ऊँची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
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ब्रह्मा कमल |Brahma Kamal |
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- पार्क का नाम स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है।
- पार्क गंगा नदी का स्रोत है।
- पार्क कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें हिमालयन मोनाल और गिद्ध शामिल हैं।
- पार्क हिंदुओं और बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो गोविंद राष्ट्रीय उद्यान निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध पार्क है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में करने के लिए कुछ चीजें दी गई हैं:
- ट्रेकिंग: पार्क में कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जो आसान से लेकर कठिन तक हैं।
- कैंपिंग: पार्क कैंपिंग के लिए एक शानदार जगह है।
- पक्षी देखना: पार्क पक्षी देखने के लिए एक शानदार जगह है।
- मंदिरों की यात्रा: पार्क में कई मंदिर हैं जो हिंदुओं और बौद्धों के लिए पवित्र हैं।
वन्य जीब बिहार
यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। इसकी स्थापना 1955 में हुई थी और यह 466 वर्ग किलोमीटर (180 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। पार्क पश्चिमी हिमालय की ऊँची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह पार्क हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
गोबिन्द बन्य जीव विहार के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- पार्क का नाम स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है।
- पार्क गंगा नदी का स्रोत है।
- पार्क कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें हिमालयन मोनाल और गिद्ध शामिल हैं।
- पार्क हिंदुओं और बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो गोबिन्द बन्य जीव विहार निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध पार्क है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
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उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
अन्य तथ्य
- ट्रेकिंग: पार्क में कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जो आसान से लेकर कठिन तक हैं।
- कैंपिंग: पार्क कैंपिंग के लिए एक शानदार जगह है।
- पक्षी देखना: पार्क पक्षी देखने के लिए एक शानदार जगह है।
- मंदिरों की यात्रा: पार्क में कई मंदिर हैं जो हिंदुओं और बौद्धों के लिए पवित्र हैं।
गोबिन्द बन्य जीव विहार में देखने के लिए कुछ जानवर
- हिम तेंदुआ
- भूरा भालू
- लाल लोमड़ी
- कस्तूरी मृग
- हिमालयन मोनाल
- गिद्ध
2. केदारनाथ वन्य जीव बिहार
केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। इसकी स्थापना 1972 में हुई थी और यह 975 वर्ग किलोमीटर (377 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। अभयारण्य पश्चिमी हिमालय की ऊँची हिमालयी श्रेणी में स्थित है और इसमें अल्पाइन घास के मैदान, ग्लेशियर और जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। यह अभयारण्य हिम तेंदुए, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और कस्तूरी मृग सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
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उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- अभयारण्य का नाम केदारनाथ मंदिर के नाम पर रखा गया है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- अभयारण्य गंगा नदी का स्रोत है।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें हिमालयन मोनाल और गिद्ध शामिल हैं।
- अभयारण्य हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध अभयारण्य है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
यहाँ आप अन्य चीजों का आनंद ले सकते हैं
- ट्रेकिंग: अभयारण्य में कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जो आसान से लेकर कठिन तक हैं।
- कैंपिंग: अभयारण्य कैंपिंग के लिए एक शानदार जगह है।
- पक्षी देखना: अभयारण्य पक्षी देखने के लिए एक शानदार जगह है।
- मंदिरों की यात्रा: अभयारण्य में कई मंदिर हैं जो हिंदुओं के लिए पवित्र हैं।
यहाँ केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य में देखने के लिए कुछ जानवर
- हिम तेंदुआ
- भूरा भालू
- लाल लोमड़ी
- कस्तूरी मृग
- हिमालयन मोनाल
- गिद्ध
उत्तराखण्ड : बन्य जीव विहार
सं. |
नाम |
स्थापना
वर्ष |
बर्ग किमी |
जनपद |
1 |
गोविन्द बन्य जीव विहार |
1955 |
953 |
उत्तरकाशी |
2 |
केदारनाथ बन्य जीव विहार |
1972 |
957 |
चमोली |
3 |
अस्कोट बन्य जीव विहार |
1986 |
600 |
पिथौरागढ़ |
4 |
सोना नदी बन्य जीव विहार |
1987 |
301 |
गढ़वाल |
5 |
विन्सर बन्य जीव विहार |
1988 |
46 |
अल्मोड़ा |
6 |
मसूरी बन्य जीव विहार |
1993 |
11 |
देहरादून |
7 |
विनोग बन्य जीव विहार |
1993 |
280 |
मसूरी |
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
प्रदेश |
वन्य जीव जातियाँ |
उत्तराखण्ड |
कस्तूरी मृग,
डिम तेंदुआ, भूरा
भालू, हिमालयन काला भालू,
सिरु, हिमालयन
तार |
उत्तर प्रदेश |
चिंकारा,
काला हिरन, डालफिन
ढोल (जंगली कुत्ता), गेंडा (पुनर्वासित),
दलदली |
3. अस्कोट बन्य जीव विहार
अस्कोट वन्यजीव विहार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। इसकी स्थापना 1986 में हुई थी और यह 520 वर्ग किलोमीटर (200 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। अभयारण्य पश्चिमी हिमालय की कुमाऊँ श्रेणी में स्थित है और इसमें साल के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। अभयारण्य कस्तूरी मृग, बाघ, हाथी, तेंदुए और गौर सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
अस्कोट वन्यजीव विहार एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। अभयारण्य कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अस्कोट वन्यजीव विहार के बारे में यहां कुछ रोचक तथ्य
- अभयारण्य का नाम अस्कोट गांव के नाम पर रखा गया है, जो अभयारण्य के अंदर स्थित है।
- अभयारण्य कस्तूरी मृग की सबसे बड़ी आबादी में से एक का घर है। भारत में।
- अभयारण्य हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग है।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें गिद्ध, बाज और उल्लू शामिल हैं।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो अस्कोट वन्यजीव विहार निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध अभयारण्य है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
4. सोना
नदी वन्य जीव विहार
सोना नदी वन्यजीव विहार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव विहार है। इसकी स्थापना 1987 में हुई थी और यह 95.62 वर्ग किलोमीटर (36.92 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है। अभयारण्य गंगा नदी की एक सहायक नदी सोना नदी के तट पर स्थित है। अभयारण्य में साल के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। अभयारण्य हाथी, बाघ, तेंदुआ और गौर सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
सोना नदी वन्यजीव विहार एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और सफारी, हाथी की सवारी और नौका विहार के लिए कई अवसर प्रदान करता है। अभयारण्य वर्ष भर खुला रहता है, और आगंतुकों को अभयारण्य में प्रवेश करने के लिए परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अभयारण्य में कई मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं, जिनमें सोना देवी मंदिर भी शामिल है, जो देवी सोना को समर्पित है।
सोना नदी वन्यजीव विहार एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। अभयारण्य कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सोना नदी वन्यजीव विहार के बारे में यहां कुछ रोचक तथ्य
- अभयारण्य का नाम सोना नदी के नाम पर रखा गया है, जो अभयारण्य से होकर बहती है।
- अभयारण्य हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग है।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें गिद्ध, बाज और उल्लू शामिल हैं।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय स्तनधारियों का घर है, जिनमें बाघ, तेंदुआ और गौर शामिल हैं।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सोना नदी वन्यजीव विहार निश्चित रूप से घूमने लायक जगह है। यह एक सुंदर और विविध अभयारण्य है जो आगंतुकों को प्रकृति का आनंद लेने के कई अवसर प्रदान करता है।
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
5. विन्सर
बन्य जीव विहार
विन्सर वन्यजीव अभयारण्य भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। इसकी स्थापना 1988 में हुई थी और यह 47 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। अभयारण्य गंगा नदी की एक सहायक नदी अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। अभयारण्य में साल के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। अभयारण्य बाघ, हाथी, तेंदुआ और गौर सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
विन्सर वन्यजीव अभयारण्य एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और सफारी, हाथी की सवारी और नौका विहार के लिए कई अवसर प्रदान करता है। अभयारण्य वर्ष भर खुला रहता है, और आगंतुकों को अभयारण्य में प्रवेश करने के लिए परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अभयारण्य में कई मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं, जिनमें विन्सर देवी मंदिर भी शामिल है, जो देवी विन्सर को समर्पित है।
विन्सर वन्यजीव अभयारण्य एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। अभयारण्य कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विन्सर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में यहां कुछ रोचक तथ्य
- अभयारण्य का नाम विन्सर गांव के नाम पर रखा गया है, जो अभयारण्य के अंदर स्थित है।
- अभयारण्य बाघों की सबसे बड़ी आबादी में से एक का घर है। भारत में।
- अभयारण्य हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग है।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें गिद्ध, बाज और उल्लू शामिल हैं।
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
6. मसूरी
बन्य जीव विहार
मसूरी वन्यजीव विहार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। इसकी स्थापना 1993 में हुई थी और यह 11 वर्ग किलोमीटर में फैला है। अभयारण्य हिमालय में स्थित है और इसमें साल के जंगल, घास के मैदान और नदियाँ सहित विभिन्न प्रकार के आवास शामिल हैं। अभयारण्य कस्तूरी मृग, बाघ, हाथी, तेंदुआ और गौर सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
मसूरी वन्यजीव विहार एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और सफारी, हाथी की सवारी और नौका विहार के लिए कई अवसर प्रदान करता है। अभयारण्य वर्ष भर खुला रहता है, और आगंतुकों को अभयारण्य में प्रवेश करने के लिए परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अभयारण्य में कई मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं, जिनमें मसूरी देवी मंदिर भी शामिल है, जो देवी मसूरी को समर्पित है।
मसूरी वन्यजीव विहार एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। अभयारण्य कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और यह गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मसूरी वन्यजीव विहार के बारे में यहां कुछ रोचक तथ्य
- अभयारण्य का नाम मसूरी शहर के नाम पर रखा गया है, जो अभयारण्य के पास स्थित है।
- अभयारण्य कस्तूरी मृग की सबसे बड़ी आबादी में से एक का घर है। भारत में।
- अभयारण्य हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग है।
- अभयारण्य कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का घर है, जिनमें गिद्ध, बाज और उल्लू शामिल हैं।
मसूरी वन्यजीव विहार में देखने के लिए कुछ जानवर
- कस्तूरी मृग
- बाघ
- हाथी
- तेंदुआ
- गौर
- हिम तेंदुआ
- भूरा भालू
- लाल लोमड़ी
- काला भालू
- जंगली सूअर
- सांभर
- चीतल
- बार्किंग हिरण
- गिद्ध
- बाज
- उल्लू
उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार |Wildlife, National Park and Wildlife Vihar |
7. बिनोंग
बन्य जीव विहार
बिनोंग वन्यजीव विहार
बिनोंग वन्यजीव विहार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक वन्यजीव विहार है। इसकी स्थापना 1993 में हुई थी और यह 280 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह वन्यजीव विहार मसूरी शहर के पास स्थित है और हिमालय की तलहटी में स्थित है।
वनस्पतियों और जीवों:
बिनोंग वन्यजीव विहार में साल, ओक, देवदार, चीड़ और बांज के जंगल हैं। यह वन्यजीव विहार कई जानवरों का घर है, जिनमें शामिल हैं:
- कस्तूरी मृग: यह वन्यजीव विहार इस जानवर के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ इसकी अच्छी आबादी है।
- हिम तेंदुआ: यह एक लुप्तप्राय जानवर है और यहाँ इसको देखना बहुत ही दुर्लभ है।
- भूरा भालू: यह एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- लाल लोमड़ी: यह एक छोटा और चालाक जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- काला भालू: यह एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- जंगली सूअर: यह एक सामाजिक जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- सांभर: यह एक बड़ा और शर्मीला जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- चीतल: यह एक छोटा और सुंदर जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- बार्किंग हिरण: यह एक छोटा और शर्मीला जानवर है और यहाँ इसका देखना आम है।
- गिद्ध: यह एक महत्वपूर्ण पक्षी है और यहाँ कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
- बाज: यह एक शिकारी पक्षी है और यहाँ कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
- उल्लू: यह एक रात्रिचर पक्षी है और यहाँ कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
पर्यटन:
बिनोंग वन्यजीव विहार पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय जगह है। यहाँ कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं जो पर्यटकों को जंगल और आसपास के पहाड़ों का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं। यहाँ कई मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं, जिनमें बिनोंग देवी मंदिर भी शामिल है, जो देवी बिनोंग को समर्पित है।
आगंतुकों के लिए जानकारी:
- वन्यजीव विहार में प्रवेश करने के लिए आपको परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।
- वन्यजीव विहार में प्रवेश करने का शुल्क ₹ 200 है।
- वन्यजीव विहार में प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित है।
- वन्यजीव विहार में जानवरों को खिलाना या उन्हें परेशान करना मना है।
यात्रियों के लिए सुझाव
- सुबह जल्दी यात्रा करें: यह जानवरों को देखने का सबसे अच्छा समय है।
- शांत रहें: जानवरों को डराने से बचने के लिए शांत रहें।
- दूरबीन लाएँ: यह आपको जानवरों को करीब से देखने में मदद करेगा।
- एक गाइड के साथ यात्रा करें: एक गाइड आपको वन्यजीव विहार और उसके जानवरों के बारे में अधिक जानकारी दे सकता है।
उत्तराखण्ड में बनेगा हाथियों का संरक्षण क्षेत्र
उत्तराखण्ड के जंगलों में हाथियों
की लगातार हत्याओं व दुर्घटनाओं में मृत्यु के वाद राज्य सरकार की पहल पर केन्द्र
नें राज्य के सभी संरक्षित वनों को जोड़कर हाथी संरक्षण क्षेत्र. बनाने का निश्चय
किया है. वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक शिवालिक हाथी संरक्षित क्षेत्र बनने से
अब इसके अन्तर्गत 5180 वर्ग
किलोमीटर का क्षेत्र आ जाएगा. पहले हाथियों के संरक्षण के नाम पर केवल राजाजी
राष्ट्रीय पार्क का 820 वर्ग
किलोमीटंर का क्षेत्र ही था. सूत्रों के अनुसार शिवालिक संरक्षित क्षेत्र दनाने से
इस संरक्षित वन का सारा नियंत्रण एक ही इकाई के नियंत्रण में आ जाएगा. इसके
अन्तर्गत राजाजी पार्क व कार्बेट पार्क की सीमा एक हो जाएगी. इसकी सीमा में
देहरादून, हरिद्वार
और नरेन्द्र नगर के अलावा कार्वेट पार्क का वफर क्षेत्र, सोना नदी, लैंसडाउन, तराई क्षेत्र, हल्द्वानी, रामनगर और पियौरागढ़ का कुछ वन
क्षेत्र भी शामिल होगा.
सूत्रों के मुताबिक उत्तराखण्ड के जंगलों को हाथियों के आवास, भोजन व उत्पादन के लिए अधिक
अनुकूल माना गया है, लेकिन
आवादी के कारण सीमित हो रहे वन क्षेत्र व इनमें बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण
यहाँ हाथियों की मृत्यु दर लगातार वढ़ रही है. भारतीय वन्य जीव संस्थान के आकड़ों
के अनुसार उत्तराखण्ड के जंगलों में इस समय हायियों की कुल संस्था 1346 है. ऑकड़ों के मुताबिक उत्तराखण्ड
के जंगलों में लैंगिक अनुपात बुरी तरह असंतुलित हो गया है मादा की तुलना में नर
हाथी 1/3 रह
गए हैं.
Elephant |
उत्तराखण्ड में बढ़ता तेंदुओं पर
संकट
उत्तराखण्ड में तेजी से कटते जंगल और शिकार की कमी के कारण आदमखोर होते जा
ग्हे तेंदुओं पर संकट के वादल मॅडरा रहे हैं,
नवम्बर 2000 में
अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्रफल 53 हजार 484 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 34 हजार 434 वर्ग किमी वन क्षेत्र था, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें
तेजी से कमी आयी है.
उत्तरकाशी जिले में मीलों तक फैले
भोजवृक्षों के जंगल पूरी तरह से काट दिए गए है. अवैध कटान के साथ-साथ जंगलों में
लगने वाली आग भी जंगलों को लगातार कम करती जा रही है. आँकड़ों के अनुसार तीन से
चार हजार किमी जंगल के क्षेत्र में कमी आई है.
हिम तेंदुआ |
इस समय राज्य में राष्ट्रीय उद्यानों,
वन्य जीव विहारों और प्राणी
उद्यानों में बाघ, तेंदुआ, चिंकारा, वारासिंघा, गेंडा और कस्तूरी मृगों की कुल
तादात 9120 है.
विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश में इनकी तादात मात्र 3981
हो गई, जबकि उत्तराखण्ड में 5139 है. उत्तराखण्ड में कार्बेट
राष्ट्रीय उद्यान,राजाजी
राष्ट्रीय उद्यान, नन्दा
देवी राष्ट्रीय उद्यान, फूलों
की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान हैं. उत्तर प्रदेश में केवल
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान ही रहा.
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