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उत्तराखंड में चैत्र महीने का महत्व क्या है |what is importance of Chetra Month in Uttrakhand

उत्तराखंड में चैत्र महीने का महत्व क्या है  |what is importance of Chetra Month in Uttrakhand



उत्तराखंड में चेत्र का महिना कई महत्वपूर्ण त्योहारों और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह महीना न केवल हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तराखंडी संस्कृति में भी इसका विशेष स्थान है।

चैत्र माह में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहार और परंपराएं:

  • गुड़ी पड़वा: यह त्योहार चैत्र मास के पहले दिन मनाया जाता है। यह नया साल का प्रतीक है और लोग इस दिन अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयाँ बांटते हैं।
  • हनुमान जयंती: यह त्योहार भगवान हनुमान के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग हनुमान मंदिरों में पूजा करते हैं और भंडारे का आयोजन करते हैं।
  • राम नवमी: यह त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग रामलीला का आयोजन करते हैं और राम मंदिरों में पूजा करते हैं।
  • गंगा दशहरा: यह त्योहार गंगा नदी के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और दान करते हैं।
  • चैती: यह उत्तराखंड का एक लोकप्रिय त्योहार है जो चैत्र मास में मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।

चैत्र माह में कुछ अन्य महत्वपूर्ण परंपराएं:

  • भिटौली: यह उत्तराखंड की एक लोकप्रिय परंपरा है। इस परंपरा में मायके से विवाहित बेटियों को उपहार भेजे जाते हैं।
  • गायत्री मंत्र का जाप: चैत्र माह में गायत्री मंत्र का जाप करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • दान: चैत्र माह में दान करना भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

चैत्र माह का महत्व:

  • चैत्र माह हिंदू धर्म में नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है।
  • यह महीना भगवान राम और हनुमान को समर्पित है।
  • इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार और परंपराएं मनाई जाती हैं।
  • यह महीना दान और पुण्य करने के लिए भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अब बात करते है उत्तराखंड क्या महत्व है चेत्र महीने का ?

उत्तराखंड में चैत्र माह एक महत्वपूर्ण महीना है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस महीने शादी शुदा महिलाओं के लिए खास होता है क्योकिं उनके मायके से मिठाई दी जाती है जो  की पुरे गावं में भी बांटी जाती , यह प्रथा लगभग उत्तराखंड के हर गावं में है , मिठाई देने का कर्तब्य उसके मायके वालो का रहता है  इस परमपरा को भिटौली भी कहा जाता है |