बाजपुर (ऊधरमसिंह नगर)
वाजपुर, जो इसी नाम की पेशकारी भी है. धूधा नदी के वाएँ तट पर 29°9' उत्तर अक्षांश एवं 79°7' पूर्व देशान्तर में स्थित है. यह कस्वा नैनीताल के दक्षिण-पश्चिम में है. बाज वहादुरचन्द्र, कुमाऊँ के शासक (1638-1678 द्वारा वाजपुर स्थापित किया गया था. यह स्थान प्रमुख गल्ता उत्पादन केन्द्र के रूप में भी प्रसिद्ध है.
बाजपुर का इतिहास:
बाजपुर का इतिहास काफी समृद्ध और रोचक है। यह स्थान 10वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व से मानव बस्ती का गवाह रहा है।
प्राचीन काल:
- कत्यूरी राजवंश: माना जाता है कि 8वीं शताब्दी ईस्वी में कत्यूरी राजवंश ने इस क्षेत्र पर शासन किया था।
- कुमाऊंनी राजवंश: 12वीं शताब्दी में, कुमाऊंनी राजवंश ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त किया।
- गोरखनाथी शासन: 14वीं शताब्दी में, गोरखनाथ संप्रदाय के योगियों ने इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव स्थापित किया।
मध्यकाल:
- बाज बहादुर चंद: 17वीं शताब्दी में, राजा बाज बहादुर चंद ने कुमाऊंनी राजवंश के शासन में बाजपुर की स्थापना की।
- मुगल प्रभाव: 18वीं शताब्दी में, मुगलों ने इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव जमाया।
आधुनिक काल:
- ब्रिटिश शासन: 19वीं शताब्दी में, बाजपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
- स्वतंत्रता के बाद: भारत की स्वतंत्रता के बाद, बाजपुर उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बन गया।
बाजपुर के कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल:
- बाजपुर का किला:17वीं शताब्दी में निर्मित, यह किला बाजपुर का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है।
- गौरी शंकर मंदिर: भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित, यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- रामलीला मैदान: यह मैदान हर साल रामलीला उत्सव के आयोजन के लिए प्रसिद्ध है।
बाजपुर के इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं:
- 1638: राजा बाज बहादुर चंद ने बाजपुर की स्थापना की।
- 1784: गोरखपुर के राजा, महेंद्र प्रताप सिंह ने बाजपुर पर आक्रमण किया।
- 1802: बाजपुर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया।
- 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, बाजपुर भारत का हिस्सा बन गया।
- 2000: उत्तरांचल राज्य का गठन, जिसमें बाजपुर भी शामिल है।
बाजपुर की संस्कृति:
बाजपुर की संस्कृति समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यहाँ के लोग विभिन्न धर्मों और समुदायों से आते हैं, जो इस क्षेत्र को एक अनूठा सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करते हैं। यहाँ के प्रमुख त्योहारों में होली, दीवाली, नवरात्रि और गौरा-पर्व शामिल हैं।
बाजपुर के दर्शनीय स्थल:
बाजपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:
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बाजपुर का किला:यह किला 17वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह क्षेत्र के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में से एक है।
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गौरी शंकर मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
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बाजपुर का बाजार: यह बाजार स्थानीय हस्तशिल्प, कलाकृति और खाद्य पदार्थों के लिए प्रसिद्ध है।
बाजपुर कैसे पहुंचें:
बाजपुर हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो बाजपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
- रेल मार्ग: बाजपुर रेलवे स्टेशन कानपुर-लखनऊ-देहरादून रेल लाइन पर स्थित है।
- सड़क मार्ग: बाजपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर स्थित है, जो इसे देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जोड़ता है।
- बाजपुर को "गन्ने का शहर" के रूप में भी जाना जाता है।
- बाजपुर में कई चीनी मिलें और अन्य उद्योग हैं।
- बाजपुर में एक प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय भी है।
- बाजपुर हिमालय की तलहटी में स्थित है और यहाँ से हिमालय की मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।
बाजपुर एक सुंदर और आकर्षक नगर है। यदि आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं, तो बाजपुर को अपनी यात्रा कार्यक्रम में अवश्य शामिल करें।
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