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भीमताल|Bhimtal

 

भीमताल|Bhimtal


भीमताल (नैनीताल)

भीमताल, नैनीताल जनपद की बड़ी झीलों में से एक है. समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 1370 मीटर है. यह नैनीताल गभग 22 किमी दूर स्थित है, उत्तर-पश्चिम में स्थित झील दलदल सहित लगभग 1700 मीटर लम्बी है. इसकी अधिकतम तथा न्यूनतम चौड़ाई 454 मीटर तथा 190 मीटर है. झील के ऊपरी छोर पर धसकन के कारण सूर्यताल बन गया है. झील के समीप में एक प्राचीन मन्दिर है, जो बाज वहादुर चाद द्वारा 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था. यह मन्दिर पहाड़ी धार्मिक स्थापत्य कला का एक सुन्दर नमूना है. मन्दिर के शीर्ष पर एक लकड़ी की छतरी है तथा एक विना तिथि का शिलालेख भी है. भीमताल झील में मछलियाँ बहुतायत सी हैं. मछलियों का शिकार यहाँ वर्जित है.

भीमताल|Bhimtal

भीमताल का इतिहास:

पौराणिक इतिहास:

भीमताल का नाम महाभारत के पाण्डवों में से एक भीम से जुड़ा है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान पांडव इस क्षेत्र में आए थे। भीम ने भगवान शिव की तपस्या के लिए इस झील का निर्माण किया था।

प्राचीन इतिहास:

भीमताल का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इसे "भौमताल" के नाम से जाना जाता है।

भीमताल|Bhimtal

मध्यकालीन इतिहास:

तेरहवीं शताब्दी में यह क्षेत्र कुमाऊँ राज्य के अंतर्गत आया।

आधुनिक इतिहास:

सत्रहवीं शताब्दी में यहां अल्मोड़ा के राजा बाज़ बहादुर चन्द ने भीमेश्वर महादेव मन्दिर की स्थापना की थी।

ब्रिटिश शासन:

अंग्रेजों ने 1816 में भीमताल पर कब्जा कर लिया।

स्वतंत्रता के बाद:

भारत की स्वतंत्रता के बाद भीमताल उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बन गया।

आज:

आज भीमताल एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

भीमताल|Bhimtal

भीमताल के इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • भीमताल झील का निर्माण महाभारत काल में भीम द्वारा किया गया था।
  • भीमेश्वर महादेव मन्दिर का निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में राजा बाज़ बहादुर चन्द ने किया था।
  • अंग्रेजों ने 1816 में भीमताल पर कब्जा कर लिया।
  • भारत की स्वतंत्रता के बाद भीमताल उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बन गया।

भीमताल के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं: