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नानकमत्ता|Nanakmatta

 
नानकमत्ता|Nanakmatta

नानकमत्ता (ऊधरमसिंह नगर)

नानकमत्ता खटीमा-सितारगंज मार्ग पर स्थित है. यह खटीमा के पश्चिम में लगभग 76 किमी एवं सितारगंज के पूर्व में 10 किमी की दूरी पर है. इस गाँव का नाम गुरुनानक के नाम पर पड़ा है, जिनको समर्पित एक गुरुद्वारा भी है जिसका निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में हुआ था. कहा जाता है कि गुरुनानक यहाँ आकर रहे थे तथा कुछ दिन मनन-चिन्तन में व्यतीत किए थे. अब गुरुद्वारा एक महन्त के प्रभार में है. यहाँ एक सरोवर है जिसे नानक जलाशय कहते हैं.


नानकमत्ता का इतिहास

नानकमत्ता का इतिहास गुरु नानक देव जी के साथ जुड़ा हुआ है, जो सिख धर्म के संस्थापक थे। माना जाता है कि 1517 में अपनी पहली उदासीन (यात्रा) के दौरान, गुरु नानक देव जी यहां रुके थे। उन्होंने यहां एक स्थानीय राजा के साथ धर्म पर चर्चा की थी और राजा गुरु जी के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस स्थान को गुरुद्वारा बनाने के लिए दान कर दिया था।

गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब

गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब सबसे प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है और माना जाता है कि यह उसी स्थान पर बनाया गया है जहां गुरु नानक देव जी रुके थे। गुरुद्वारा एक शांत और शांत वातावरण समेटे हुए है, और इसमें एक संगमरमर का सरोवर है। गुरुद्वारे में हर साल बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु आते हैं।

बाउली साहिब

बाउली साहिब एक प्राचीन कदम्ब का पेड़ है जो गुरुद्वारा परिसर के अंदर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देव जी ने यहां विश्राम किया था और पेड़ के नीचे ध्यान लगाया था। बाउली साहिब को एक पवित्र स्थान माना जाता है और श्रद्धालु यहां पेड़ की परिक्रमा करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पेड़ को धागा बांधते हैं।

नानकमत्ता कैसे पहुंचे

  • हवाई जहाज से: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
  • ट्रेन द्वारा: काशीपुर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 35 किलोमीटर दूर है।
  • सड़क मार्ग से: नानकमत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग 74 से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।