पूर्णागिरि (चम्पावत)|Purnagiri (Champawat) |
पूर्णागिरि (चम्पावत):
पूर्णागिरि, जिसे पूर्णागिरि धाम के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य के चम्पावत जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यह मंदिर माँ पूर्णागिरी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का एक रूप मानी जाती हैं।यह चम्पावत नगर में काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है। मंदिर समुद्र तल से 1780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अल्मोड़ा, चम्पावत और पिथौरागढ़ जिलों के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। यह स्थल टनकपुर से 24 किमी दूर स्थित है. यहाँ माँ दुर्गा की प्रतिमा की पूजा होती है. पौराणिक आख्यान के अनुसार जब सती ने अपना होम शरीर होम कर दिया था और भगवान शंकर उसे लेकर इधर से निकले, कुछ अंग यहाँ गिर पड़े थे. प्रतिवर्ष चैत्र मास में यहाँ मेला लगता है. इसके अलावा पिथौरागढ़ में देवीपुरा, रीठा साहब, उल्का देवी, नारायण आश्रम, ज्वालामुखी आदि प्रमुख स्थल हैं. यहाँ प्रतिवर्ष लाखों भक्तजन पूजन-अर्चना हेतु आते हैं.
चीन, नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से घिरे सामरिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण चम्पावत ज़िले के प्रवेशद्वार टनकपुर से 24 किलोमीटर दूर स्थित यह शक्तिपीठ माँ भगवती की 108 सिद्धपीठों में से एक है। तीन ओर से वनाच्छादित पर्वत शिखरों एवं प्रकृति की मनोहारी छटा के बीच कल-कल करती सात धाराओं वाली शारदा नदी के तट पर बसा टनकपुर नगर माँ पूर्णागिरि के दरबार में आने वाले यात्रियों का मुख्य पडाव है। इस शक्तिपीठ में पूजा के लिए वर्ष-भर यात्री आते-जाते रहते हैं किंतु चैत्र मास की नवरात्र में यहां माँ के दर्शन का इसका विशेष महत्व बढ जाता है। माँ पूर्णागिरि का शैल शिखर अनेक पौराणिक गाथाओं को अपने अतीत में समेटे हुए है। पहले यहां चैत्र मास के नवरात्रियों के दौरान ही कुछ समय के लिए मेला लगता था किंतु माँ के प्रति श्रद्धालुओं की बढती आस्था के कारण अब यहां वर्ष-भर भक्तों का सैलाब उमडता है। मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम शारदा नदी है) इस नदी के दूसरी ओर बांऐ किनारे पर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है। प्रतिदिन सांयःकालीन आरती का आयोजन होता है।
पूर्णागिरि (चम्पावत)|Purnagiri (Champawat)
पूर्णागिरि मंदिर उत्तराखंड के पंच सिद्धपीठों में से एक है, जो देवी दुर्गा के पांच पवित्र निवास स्थानों में से एक माना जाता है। मंदिर को शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह देवी सती के सती के अंगों में से एक का निवास स्थान है।
मंदिर की स्थापत्य कला:
पूर्णागिरि मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना है। मंदिर का गर्भगृह देवी पूर्णागिरी की मूर्ति को स्थापित करता है। मंदिर में कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जिनमें भगवान शिव, भगवान गणेश और देवी पार्वती शामिल हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचें:
पूर्णागिरि मंदिर अल्मोड़ा, चम्पावत और पिथौरागढ़ शहरों से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम में है, जो मंदिर से लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
मंदिर में दर्शन का समय:
पूर्णागिरि मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
मंदिर में त्योहार:
पूर्णागिरि मंदिर में नवरात्रि, महाशिवरात्रि और दीपावली जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं।
पूर्णागिरि मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- माना जाता है कि पूर्णागिरि मंदिर की स्थापत्य योजना आदि गुरु शंकराचार्य ने बनाई थी।
- मंदिर परिसर में एक प्राकृतिक गुफा है, जिसके बारे में माना जाता है कि यहाँ देवी पूर्णागिरी ने तपस्या की थी।
- मंदिर से अल्मोड़ा, चम्पावत और पिथौरागढ़ जिलों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
अगर आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं, तो पूर्णागिरि मंदिर अवश्य जाना चाहिए। यह मंदिर अपनी धार्मिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।
यहां पूर्णागिरि मंदिर की कुछ तस्वीरें दी गई हैं:
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