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पंच प्रयाग|Panch Prayag|Panch Prayag in uttrakhand

 

पंच प्रयाग|Panch Prayag|Panch Prayag in uttrakhand

पंचप्रयाग उत्तराखंड राज्य में स्थित पाँच महत्वपूर्ण संगम स्थलों को कहते हैं। ये संगम स्थल विभिन्न नदियों के मिलने के बिंदु हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है.पंचप्रयाग हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं और इन स्थानों पर मंदिर भी स्थित हैं. इन संगमों का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने लायक है.

 पंचप्रयाग ये हैं:

देवप्रयाग

Night View of Devprayag Sangam


बद्वीनाथ मार्ग पर अलकनन्दा तथा भागीरथी के संगम पर 1800 फीट की ऊँचाई पर देवप्रयाग स्थित है. यहाँ पर रघुनाथजी का मन्दिर है, रावण वध के बाद दोषमुक्त होने के लिए भगवान राम ने यहाँ पर तपस्या की थी,

रूद्रप्रयाग

Rudraprayag

 बद्रीनाथ  मार्ग पर 2200 फीट की ऊँचाई पर अलकनंदा तथा मंदाकिनी के संगम पर रुद्रप्रयाग रिथित है. केदारनाथ जाने का मुख्य मार्ग यहीं से है. भगवान शिव की आराधना कर मुनि नारदजी ने संगीत शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की थी.

कर्णप्रयाग

Karanprayag Sangam

Karanprayag Sangam

अलकनंदा तथा पिण्डर के संगम पर 2600 फीट की ऊँचाई पर कर्णप्रयाग स्थित है. इसी स्थल पर दानवीर कर्ण ने भगवान सूर्य की आराधना कर अभेद्य कवच प्राप्त किया था. संगम के पार्श्व में उमादेवी का विशाल मन्दिर है.


कर्ण मन्दिर कर्णप्रयाग ( 𝐊𝐚𝐫𝐧𝐚 𝐓𝐞𝐦𝐩𝐥𝐞 𝐊𝐚𝐫𝐚𝐧𝐩𝐫𝐚𝐲𝐚𝐠)
Karan Prayag Temple

कर्णप्रयाग कर्ण की कर्मभूमि महाभारत के प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है । कर्ण मंदिर अलकनंदा और पिंडर नदी के पवित्र संगम पर स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली के कर्णप्रयाग शहर में स्थित है ।
पवित्र मंदिर महाभारत के एक पौराणिक चरित्र को समर्पित है, जो कर्ण था। उन्हें व्यापक रूप से पांडवों के भाई-बहनों में सबसे धर्मी और धर्मार्थ माना जाता है। इसी स्थान पर कर्ण ने सूर्य देव (अपने पिता) को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और स्वयं "देवता द्वारा उन्हें अभेद्य कवच प्रदान किया गया था। तभी से इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पड़ा। कर्णप्रयाग उत्तराखंड में पांच श्रद्धेय नदी संगमों (पंच प्रयाग) में से एक है। कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम होता है, जिसे कर्णप्रयाग संगम के नाम से जाना जाता है ।


नंदप्रयाग

Nandprayag Sangam

अलकनंदा तथा मंदाकिनी के संगम पर 2800 फीट की ऊँचाई पर नंदप्रयाग स्थित है. नंदप्रयाग में अनेक भव्य मंदिर हैं, रामानंदजी ने यहाँ तपस्या की थी जिसके कारण इसका नाम नंदप्रयाग पड़ा.


विष्णुप्रयाग

Vishnu Prayag


जोशीमठ से 14 किमी दूर अलकनंदा (विष्णु गंगा) और धोली गंगा के संगम पर 4500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है यहाँ पर प्रसिद्ध तीर्थ विष्णु मन्दिर स्थित है.