त्रियुगीनारायण उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रसिद्ध
हिंदू तीर्थ स्थल है। यह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर के लिए जाना जाता है, जो
भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह
वही स्थान है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और
भगवान विष्णु ने इस विवाह का संचालन किया था।
त्रियुगीनारायण के मुख्य आकर्षण:
- अखंड धूनी: इस मंदिर में एक निरंतर जलती हुई अग्नि है जिसे
"अखंड धूनी" कहा जाता है। मान्यता है कि यह अग्नि शिव और पार्वती के
विवाह के समय से जल रही है। श्रद्धालु इस अग्नि की राख को पवित्र मानते हैं।
- मंदिर की वास्तुकला: त्रियुगीनारायण मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ
मंदिर से मिलती-जुलती है और प्राचीन उत्तर भारतीय मंदिर शैली का प्रतिनिधित्व करती
है। पत्थरों से निर्मित यह संरचना और इसका शांत वातावरण तीर्थयात्रियों और
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- पवित्र कुंड: मंदिर के आसपास कई पवित्र जल कुंड (कुंड) हैं, जैसे
रुद्र कुंड, विष्णु कुंड, और ब्रह्मा कुंड, जहां
तीर्थयात्री पवित्र स्नान करते हैं। मान्यता है कि इन कुंडों का दिव्य महत्व है।
- पौराणिक महत्व: इस स्थान को "त्रियुगी" कहा जाता है,
जिसका
अर्थ है तीन युग, जो यह दर्शाता है कि यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन्न युगों
की घटनाओं का साक्षी रहा है।
पहुँचने का मार्ग:
त्रियुगीनारायण मुख्य रूप से सड़क मार्ग से रुद्रप्रयाग और गौरीकुंड
जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन चार धाम यात्रा
के दौरान या उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा के भाग के रूप में करते हैं।
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