रूपकुंड झील: संपूर्ण जानकारी
रूपकुंड झील, जिसे "कंकाल झील" (Skeleton Lake) के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिमानी झील है। यह समुद्र तल से लगभग 5,029 मीटर (16,500 फीट) की ऊंचाई पर त्रिशूल पर्वत के तल पर स्थित है। इस झील को इसके रहस्यमय नरकंकालों और प्राकृतिक सुंदरता के कारण विश्वभर में प्रसिद्धि मिली है।
भौगोलिक विवरण
- स्थान: उत्तराखंड के हिमालय में चमोली जिला।
- ऊंचाई: 5,029 मीटर।
- झील का व्यास: लगभग 40-50 मीटर।
- निकटतम ट्रेकिंग बेस कैंप: वान और लोहजंग।
- झील हर साल बर्फ से ढकी रहती है और केवल गर्मियों के दौरान पिघलती है।
कहानी और ऐतिहासिक संदर्भ
1. पौराणिक कथा
रूपकुंड का उल्लेख हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में मिलता है।
- ऐसा कहा जाता है कि देवी नंदा देवी की यात्रा के दौरान, एक राजा (कनौज का राजा जसधवल) अपनी गर्भवती पत्नी, सेवकों और सैनिकों के साथ नंदा देवी मेले में भाग लेने जा रहा था।
- राजा और उसकी टोली ने यात्रा के दौरान अनुशासनहीनता और भोग-विलास का प्रदर्शन किया, जिससे देवी नंदा क्रोधित हो गईं।
- देवी ने एक भयानक तूफान उत्पन्न किया, जिसके कारण सभी यात्रियों की मृत्यु हो गई।
- यह कथा झील में पाए गए नरकंकालों की उपस्थिति को धार्मिक दृष्टि से समझाने का प्रयास करती है।
2. वैज्ञानिक और ऐतिहासिक अध्ययन
रूपकुंड झील में लगभग 200 से अधिक नरकंकाल मिले हैं, जो 1942 में ब्रिटिश वन रेंजर्स द्वारा खोजे गए थे।
- डीएनए अध्ययन: नरकंकालों का विश्लेषण करने पर पता चला कि ये 9वीं शताब्दी के हैं।
- ये कंकाल दो समूहों के थे:
- एक समूह सामान्य कद-काठी के स्थानीय लोगों का था।
- दूसरा समूह अपेक्षाकृत ऊंचे और मजबूत लोगों का था, जो संभवतः पश्चिम एशिया या भूमध्यसागरीय क्षेत्र से थे।
- मृत्यु का कारण:
- शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि इनकी मृत्यु सिर पर बड़े आकार के ओलों (hailstones) से हुई थी।
- ये लोग तीर्थयात्री या व्यापारी हो सकते हैं जो किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए।
पौराणिक महत्व और धार्मिक संबंध
रूपकुंड झील का नंदा देवी राजजात यात्रा से गहरा संबंध है।
- यह यात्रा हर 12 साल में आयोजित होती है और श्रद्धालु नंदा देवी के सम्मान में यहां तक ट्रेक करते हैं।
- रूपकुंड यात्रा नंदा देवी के पवित्र स्थलों का हिस्सा मानी जाती है।
झील का नामकरण
झील को "रूपकुंड" इसलिए कहा जाता है क्योंकि स्थानीय मान्यता के अनुसार, इसका पानी इतना साफ होता है कि इसमें व्यक्ति अपना प्रतिबिंब (रूप) देख सकता है।
झील के पास पाए गए नरकंकालों के अन्य पहलू
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव: झील में मिलने वाले नरकंकालों का संरक्षण ठंडी जलवायु के कारण हुआ है।
- पुरातत्व और पर्यटन: यह झील अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गई है।
पर्यटन और ट्रेकिंग
रूपकुंड ट्रेक भारत के सबसे लोकप्रिय हाई-एल्टीट्यूड ट्रेक में से एक है।
- ट्रेकिंग मार्ग:
- लोहजंग → दीदना → बेदिनी बुग्याल → पातर नचौनी → भगुवाबासा → रूपकुंड।
- चमोली - नंदानगर -सूत्तोल गांव -वाण गांव -बेदिनी बुग्याल → पातर नचौनी → भगुवाबासा → रूपकुंड।
- मुख्य आकर्षण:
- हिमालय की चोटियों का अद्भुत दृश्य।
- बेदिनी और आली बुग्याल जैसे हरे-भरे घास के मैदान।
- नंदा देवी और त्रिशूल पर्वत का शानदार दृश्य।
रूपकुंड झील का महत्व
- वैज्ञानिक दृष्टि से:
- यह स्थान मानव इतिहास, जलवायु परिवर्तन, और पुरातन यात्री मार्गों का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- धार्मिक दृष्टि से:
- यह झील उत्तराखंड के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है।
- पर्यावरणीय दृष्टि से:
- यह स्थान हिमालय की जैव विविधता और पारिस्थितिकी को समझने का एक प्रमुख केंद्र है।
सारांश
रूपकुंड झील अपनी रहस्यमयता, पौराणिक कथाओं, और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। यह झील न केवल एक ट्रेकिंग डेस्टिनेशन है, बल्कि एक ऐसा स्थल भी है जो इतिहास, संस्कृति, और विज्ञान का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
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